January 1, 2014

नया साल

जीने का अब हाल बुरा है 
जाने क्या ये साल बुरा है।   
ज़िन्दगी जीने का सबब पूछती है 
क्या उसका ये सवाल बुरा है। 
वक़्त के साथ  पड़  जाती है हर बात छोटी', 
छोटी छोटी बातों का बवाल बुरा है।   
खुली आँखों से देखे, बंद आँखों से देखे, छोटे देखे, बड़े देखे 
जैसे भी हो सपनो का ये मायाजाल बुरा है।  
जीवन कि भूल भुलैया में भटके हुए सोचती हूँ 
जी  का ये भी जंजाल बुरा है। 
बुरे साल की बीती बातें चलो छोड़  देते है, 
बुरी बातों का का ख्याल बुरा है।   

1 comment:

  1. wow Neeti, thats awesome writing.. keep it up .. looking forward for more to come.... lots of love.. :) :)

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