कब तक तेरी याद इस दिल को रुलाएगी,
लगता है आज फिर नींद नहीं आयेगी !!
सदियाँ गुज़री गुज़ारे ज़मानें , कब तक गुल-ओ-बुलबुल के तराने
कब तक तेरी याद इस दिल को रुलाएगी,
सुनकर ये धड़कन बढ़ जाएगी ,लगता है आज फिर नींद नहीं आयेगी
कल कुछ और था, अब कुछ और है आगे का कुछ पता नहीं
कब तक उम्मीद जिंदा रहा पायेगी, लगता है आज फिर नींद नहीं आयेगी
बिखरे रंग , टूटे सपने... और राह में बिछड़े अपने
कब तक ज़िन्दगी सह पायेगी, लगता है आज फिर नींद नहीं आयेगी
संजो कर कब से रखा हुआ था पल में सब उजड़ गया, फिर से उस बनाते
ना जाने कब हिम्मत जवाब दे जाएगी , लगता है आज फिर नींद नहीं आयेगी
कब तक तेरी याद इस दिल को रुलाएगी,
लगता है आज फिर नींद नहीं आयेगी !!
mast
ReplyDeletebahut achha likha h didi ..
ReplyDelete" shaam se aankh mei nami si h , aaj fir aapki kami si h.."