March 9, 2011

ज़मीं अपनी हो जाये, आसमां भी अपना हो जाये!

मौसम की तरह ही ज़िन्दगी बदलती है, ऋतुएं  आती हैं ऋतुएं जाती हैं !
और पत्तों के जैसी ये आशाएं मुरझाती हैं टूटती हैं  और फिर नहीं कोपलें उग आती हैं  !!

ये दिल तने की तरह बाहर से सख्त अन्दर से इतना कठोर भी नहीं !
भावनाओ से सरोबार  है, मासूम है, पर मजबूर नहीं कमज़ोर भी नहीं!!

आँखों की नमी  गर हौसलों की जड़ों की मजबूती बन जाये !
फिर चाहे जितनी आंधियां आये और जाये, 
ज़मीं  अपनी हो जाये, आसमां भी अपना हो जाये !!

2 comments:

  1. Good one -- Keep writing............

    ReplyDelete
  2. @Pankaj, thanks a lot buddy for the encouragement, Yah I shall :)

    ReplyDelete